अविनाश पर कथित आरोप के बाद काफी लोग तो कुछ सुनने कहने आ ही नही रहे क्योंकि उन्हें यह व्यर्थ की झाय झाय से ज़्यादा कुछ नही लगता। वे भी बुद्धिमान हैं,तटस्थ रहने वाले। लेकिन जो लोग सामने आ रहे हैं उनमें से भी अधिकांश मोहल्ला की कमेंट मॉडरेशन के बाद केवल अविनाश के हक मे बोलने आ रहे हैं। (और न भूले की अविनाश जी कभी इस बात पर दम्भ करते थे की मोहल्ला पर कमेंट मॉडरेशन नही लगाया जाता चाहे किसी अनीषा,नलिनी किसी के भी लिए भद्दी बातें कमेंट मे लिखीं जाएँ उन्हें मोहल्ला पर पड़े रहने से अविनाश को कोई फर्क नही पड़ता) आज से पहले अविनाश ने हमेशा गालियों का फेवर ही किया है,और यह दम्भ भी भरा कि देखो हम तो गाली खाते भी है और देते भी हैं यह तो आम आदमी की भाषा का स्वाभाविक हिस्सा है तो अपनी खोखली सफाई वाली पोस्ट पर अब गालियों का खयाल करके मोडरेशन क्यों लगा दिया गया? अब जो कमेंट्स वहाँ आ रहे हैं - ज़रा ऐसे कमेंट्स के स्वरूप पर विचार किया जाए तो साफ दिखाई दे रहा है कि इन समर्थक पुरुषों के लिए औरत मात्र की कोई इज़्ज़त नही है। इन कमेंट्कारों से क्या यह जवाब मिलेगा कि पैसे और पॉवर के लिए उनकी बहने बेटियाँ भी इतनी आसानी से किसी मैनेजमेंट का मोहरा बनने को तैयार हो जाएंगी ? यदि हाँ तो मान लेना चाहिए कि हमेशा लड़की ऐसे केसों मे चरित्रहीन ही होती है ,पुरुष साफ होता है,चाहे वह इस केस की पीड़िता हो या किसी की भी बेटी, बहन, पत्नी या माँ !
अविनाश के पास तो फिर भी एक बड़ा मंच है, यह बड़ा सा ब्लॉग संसार है , आप जैसे छिछोरे टिप्पणीकार हैं .....फिर भी वह अपनी बात न कह पाने की असमर्थता दिखा रहा है......किसी ने उसे अपनी सफाई देने से नही रोका......तब भी आप सब उस “लड़की”, जो आप सब के हिसाब से पहले से ही बदचलन मान ली गयी है,उसके पास कोई ब्लॉग नही है ,न ही अविनाश की तरह की लॉबियिन्ग ही है। दर असल लड़की के पास न पैसा है , न कॉंटेक्ट्स हैं , न लॉबियिंग है , न शोहरत है , न ही वह भविष्य मे आपके किसी काम आ सकती है, न ही एजुकेशन ही पूरी है।
अपने विद्यार्थी जीवन मे ही वह लड़की अविनाशों को फँसाने लग गयी है,यह बात ऐसे आराम से कह दी जा रही है जैसे आप सभी को उसने फँसाया हो और आप उसकी हरकतों से वाकिफ हों।अभी उस लड़की के आप खिलाफ हैं और अविनाश के साथ हैं क्योंकि अविनाश आपका दोस्त है और लड़की कुछ नही। लेकिन अपनी बहन-बेटी-पत्नी की बात आएगी तो एक आदमी अपने करीबी से करीबी दोस्त क्या भाई पर भी विश्वास नही करेगा ।
.सहानुभूति जताना अलग बात है और किसी लड़की के चरित्र पर उंगली उठाना अलग बात...जब अविनाश कह रहे हैं कि वे उसे घर तक छोड़ने गए थे...और आप बता रहे हैं कि ...इस तरह की ...लड़कियां ऐसा करती हैं। भोपाल में रहते हुए अविनाश उसे जानते थे और घर छोड़ने लायक समझते थे, इसीलिए घर तक गए। मगर आप उसे चरित्रहीन बता रहे हैं....आपको कैसे पता ? यानी गड़बड़ है...कहीं पर..
एक कमेंट कहता है कि - जिन लोगों के खिलाफ अविनाश काम कर रहे थे और जिनकी आंखों में चुभ रहे थे उनके पास और हथकंडे भी कहां थे, पार पाने के लिए .................
.हमें बताया जाए कि वे ऐसा कौन सा काम कर रहे थे कि हिन्दी पत्रकारिता के मसीहा मान लिए गए हैं , या मसीहा बनने का रास्ता भी शायद यहीं से होकर गुज़रता है।
जिस देश मे हमेशा से यौन उत्पीड़न के मामलों को दबाया जाता हो ,जहाँ नॉयडा गैंग रेप पुलिस क्या देश भर मे खबर बन जाने के बाद भी ठप्प पड़ा हो ,जहाँ एक महिला पुलिस अधिकारी (के पी एस गिल केस) को इंसाफ पाने मे 18 वर्ष का समय लग गया हो वहाँ एक छात्रा के झूठे इल्ज़ाम मात्र से, जाँच समिति की रिपोर्ट से पहले ही अविनाश जी सम्पादकत्व गँवा बैठे हैं यह हमारे लिए वाकई हैरानी की बात है और इसे पचाना मुश्किल है। भास्कर समूह अपनी इज़्ज़त के डर से सच बयान नही करेगा , लड़की अपनी इज़्ज़त के डर से बाहर नही बोलेगी, विश्वविद्यालय अपनी इज़्ज़त के डर से भेद नही खोलना चाहेगा..........अविनाश किसके डर से चुप हैं ?अपने अन्दर का भय तो नही ? कंही तो कुछ गडबड है।
इसका क्या सबूत है कि अविनाश को बात कहने का मौका नही दिया गया और प्रबन्धन ने उन्हें यूँ ही चलता कर दिया? हमे नही लगता की अविनाश को हटाने के लिए किसी प्रबन्धन को उनके खिलाफ षडयंत्र करना पड़े और वह भी किसी लड़की को मोहरा बनाकर। यह एक निजी कम्पनी है , जब चाहेंगे हटा देंगे , इम्प्लॉयी को हटाने के लिए प्रबन्धन को वजहों की कमी नही होती ! इसके लिए इतनी बड़ी प्लानिंग की कतई ज़रूरत नही थी वो भी एक लड़की को खाम्खाह बदनाम करना पडे | यूँ भी प्रबन्धन पर आप मुकदमा कर ही सकते हैं । दीन-हीन बनने की बजाए अब भी चेत जाना ज़रूरी है।
इनके समर्थन मे पूरी विश्वास के साथ खड़े 70 लोग भूल रहे हैं कि अपना मतलब साधने के लिए इन्होंने प्राईवेट चेटों को खुब पब्लिक किया और कई बार उस व्यक्ती (इनमे कई महिलाएँ भी है) के आग्रह करने पर भी उसे नही हटाया।
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14 comments:
Poori tarah sahmat. 100 Pratishat.
मोहल्ले की तरफ झांकना अरसे से बंद है पर मोहल्ला में कमेंट माडरेशन का माडरेटर का अधिकार है, ये अलहदा बात है कि अविनाश अगर अग कमेंट माडरेट कर रहे हैं जो उन्होंने पहले कभी नहीं किए तब साफ है कि इस बार वे वाकई फंसे हुए हैं... हमारी सहानुभूति विक्टिम के ही साथ है।
charitr heen logo kae baarey mae itni post kyu barbaad ki jaatee haen bhadaas hi yaa mohalla badbu hi badu haen aur dono kae sanchalak nihaayat hi girae huae haen .
dono ki patniyon sae samvaedna bhi haen aur ek swaal bh ijab wo jaantee haen ki yae sab sach haen aur wo kaii bar is ko bhugat chuki haen to khud kyun nahin inkae khillaf kuch kartee
आवेश में सबसे पहले विवेक साथ छोडता है। अविनाश को निर्दोष साबित करने के लिए लडकी को चरित्रहीन घोषित करना कतई जरूरी नहीं।
जिस बात की आलोचना आप कर रहे हैं, आप खुद भी वही कर रहे हैं। आप भी अनुमान (या कि पूर्वाग्रह) के आधार पर ही निष्कर्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।
आपको इस बात पर आपत्ति है कि अविनाश के पक्ष में ढेरों ब्लागिए मैदान में आ गए हैं और अविनाश खुद कुछ नहीं बोल रहे हैं। तो अविनाश के मुंह से सच उगलवाने की एक कोशिश आप कर लें।
हम प्रतीक्षा करेंगे।
हम आपके बात से पूर्णतः सहमत हैं | ये ब्लॉग जगत ऐसे व्यव्हार करता है जैसे हिन्दी बोलोग्गिंग कुछ लोगो की जागीर हो गयी है | सुना एक कोई भड़ास चलाता अहि और किसी को भी गाली दे सकता है | और दूसरा अपने आपको बहुत बड़ा पत्रकार समझता है और किसी के भी बड़ी हस्ती के ऊपर अपनी राय दे सकता है | दोनों इस ब्लॉग जगत के सबसे कमजोर ब्लॉगर नजर आते हैं | इनको ब्लॉग्गिंग की ऐ बी सी नहीं मालुम | इनको मालुम होना चाहिए की ब्लॉग्गिंग और जौर्नालिस्म दोनों अलग अलग हैं | भोपाल पुलिस को चाहिए की अविनाश के ऊपर केस दर्ज करे और उसे तुंरत हिरासत में ले | क्या इतने लोगो में से को गिरिजा व्यास को नहीं लिख सकता ? क्या इसके पहुच इतने ऊपर तक है? ये लोग एक पब में हंगामा होने पर इतना बवाल करते हैं, और यहाँ क्यों चुप हैं? कहा गयी वो चढी भेजने वाली महिलायें ? मुझे ताज्जुब है की महिलायें ब्लॉग पर एक लेख लिखकर चुप बैठी हैं, जब की कुछ दिन पहले चढी पर चढी खरीद रहीं थी| क्यों नहीं सब रोड पर उतरते? महिलाओं का ब्लॉग ये सिद्ध करने में लगा है की हम उस भडासी ke समय भी बोले थे और अभी भी बोल रहे हैं | उनका विचार सबसे हास्यास्पद लगा | ऐसा लग रहा है की ये दोनों तो ऐसे ही बलात्कार की कोशिश का आरोप लगते रहता है | इसमे नया क्या है ? ऐसा लग रहा है जैसे ब्लॉग जगत मान लिया की यार आरोप तो केवल प्रयास का लगा है, कराने का नहीं लगा ना | कराने का लगा रहता तब कुछ बोलते | आप सब लोग समाज में ऐसे आरोप लगे लोगो के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं वो इस लिए नहीं की ये सिद्ध हो चुका है वो इसलिए की इसकी आगे की कार्यवाही हो और लड़की को बिना दिसतुरब किए इसकी पुलिसिया जाच हो और स्पीडी ट्राइल कर दूध का दूध और पानी का पानी लाये | अगर आरोप सही हो तो कड़ी से कड़ी सजा मिले , और अगर ग़लत है तो बाइज्जत वारी किया जाए |
मेरी सहानुभूति अविनाश के साथ है। उसका कोई दोष नहीं है। उसने तो साफ-साफ लिख दिया है कि किसी को उत्तर चाहिये ही नहीं। मेरा तो मानना है कि लड़के (पुरुष) बदचलन हो ही नहीं सकते, केवल औरतें और लड़कियाँ ही बदचलन होती हैं। यही 'बदचलन' की परिभाषा है। इस केस में अविनाश को 'जज' बनकर स्वयं 'निर्णय' देने का अधिकार होना चाहिये। मुझे तो इस बात पर भी आश्चर्य हो रहा है कि उन्होने ये क्यों नहीं कहा कि सारी भोपाली लड़कियाँ बदचलन हैं!
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पूरी तरह सहमत !चरित्रहीनता का आरोप लगाकर विक्टिम स्त्री के मानसिक शोषण को दुगुना करना भी बलात्कार या उसकी कोशिश के बराबर ही है !
विष्णु बैरागी -अविनाश खुद कुछ नहीं बोल रहे हैं। तो अविनाश के मुंह से सच उगलवाने की एक कोशिश आप कर लें।
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ज़रूरत ही नही है सच उगलवाने की क्योंकि जितना मोहल्ला पर लिख दिया गया है वही आप लोगो की मानसिकता समझने को काफी है।बेहतर होता कि अतिउत्साह मे लिखने की बजाए पहले मोहल्ला वाले सोच लेते बैठ कर कि क्या लिखना है।कर्म मे न सही,लिखने मे तो कम से कम स्त्री विरोधी होने से बचा जा सकता था।
avinash ne kahaan us ladki ko charitraheen kaha hai bhaiyya? aapne kahaan pardh iya? maine to pura mohalla chhan maara hai!
चरित्र हनन और बलात्कार चाहे वह किसी भी रूप में हो निहायत ही घटिया और नाकाबिलेमाफी है.परन्तु इसमें समाज स्वयं ही निर्णायक की भूमिका में आ जाये तो फिर अदालतों की आवश्यकता ही क्या है? आपकी ये पोस्ट विचार कम और पूर्वाग्रह से ग्रस्त आक्रमण ज्यादा लगता है. बात को तर्क के साथ संयत भाषा में कहने से बात समझ में भी आती है और उसका वजन भी बढ़ता है. गाली के बदले गाली से माहौल प्रदूषित हो जाता है और जो लोग मामले को समझने या सुलह समझौते की गरज से आ गए होते है वे भी इसे दो बेवडों का झगडा मानकर किनारा कस जाते है. समस्या जस की तस रह जाती है.
आज ब्लॉगजगत का एक तबका (जिसे महिलाओं ने male chauvinists की संज्ञा दे दी है) महिलाओं की इसी मानसिकता का विरोधी है. यदि पुरुष कुछ गलत करता है तो उसका विरोध कीजिये ना की आधुनिकता के नाम पर आप उसका ही अनुसरण करने लगे. शराब पीना या गाली देना भी इसी तरह के कृत्य है. पुरुष अशोभनीय भाषा का प्रयोग करता है तो तुंरत उसका विरोध करें और उसे जूते मारने से भी परहेज ना करें परन्तु गाली के बदले गाली...............
अविनाश हमेशा से पाखंडी और क्रूर रहा है। तर्कों, सिद्धांतों और वादों की आड़ लेकर वह अपने पाखंड व क्रूरता के जरिए तरक्की के रास्ते तय करता रहा है। लेकिन कुत्ते की पूंछ तो सीधी होती नहीं सो, उसकी भी मूल आदतें समय समय पर बाहर आ जाया करती हैं। मोहल्ला ब्लाग के जरिए खुद को दुनिया का सबसे बड़ा बुद्धिमान आदमी साबित करने के लिए उसने अन्य ब्लागरों की एक एक कर खाट खड़ी करने का अभियान चलाया। पर पाप का घड़ा तो भरता ही है। इस चरित्रहीन व्यक्ति को जो नहीं जानते हैं उन्हें झटका लगा होगा उसके इस धतकरम से लेकिन वह महिलाओं के मामले में शुरू से ही लंगोट का ढीला रहा है। किस बेशर्मी से वह अपने पक्ष में सहानुभूति बटोरकर खुद को निष्पाप साबित करने में जुटा है, इसे सबने देख लिया। इसकी सजा यही है कि इससे किसी तरह का कोई संबंध नहीं रखना चाहिए वरना यह काला नाग एक दिन संबंध रखने वाले को डस लेगा, जिस तरह से अतीत में अपने आसपास वालों को डंसता रहा है।
आपने बहुत सही लिखा है। खुल के बोलने के लिए आप दिल से बधाई स्वीकारें।
माफ कीजिए, अभी इससे पहले की टिप्पणी में मैं अपना नाम लिखना भूल गयी।
मनीषा पांडेय
अविनाश हमेशा से पाखंडी और क्रूर रहा है। तर्कों, सिद्धांतों और वादों की आड़ लेकर वह अपने पाखंड व क्रूरता के जरिए तरक्की के रास्ते तय करता रहा है। लेकिन कुत्ते की पूंछ तो सीधी होती नहीं सो, उसकी भी मूल आदतें समय समय पर बाहर आ जाया करती हैं। मोहल्ला ब्लाग के जरिए खुद को दुनिया का सबसे बड़ा बुद्धिमान आदमी साबित करने के लिए उसने अन्य ब्लागरों की एक एक कर खाट खड़ी करने का अभियान चलाया। पर पाप का घड़ा तो भरता ही है। इस चरित्रहीन व्यक्ति को जो नहीं जानते हैं उन्हें झटका लगा होगा उसके इस धतकरम से लेकिन वह महिलाओं के मामले में शुरू से ही लंगोट का ढीला रहा है। किस बेशर्मी से वह अपने पक्ष में सहानुभूति बटोरकर खुद को निष्पाप साबित करने में जुटा है, इसे सबने देख लिया। इसकी सजा यही है कि इससे किसी तरह का कोई संबंध नहीं रखना चाहिए वरना यह काला नाग एक दिन संबंध रखने वाले को डस लेगा, जिस तरह से अतीत में अपने आसपास वालों को डंसता रहा है।
आपने बहुत सही लिखा है। खुल के बोलने के लिए आप दिल से बधाई स्वीकारें।
मनीषा पांडेय के नाम का इस्तेमाल करते हुए ऊपर का कमेंट किसी ने लिखा है , यह नाम पर क्लिक करते ही पता लग रहा है।
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