Friday, February 20, 2009

किसी स्त्री को चरित्रहीनता का सर्टिफिकेट देने से पहले अपने गिरेबान में भी झाँक लें

अविनाश पर कथित आरोप के बाद काफी लोग तो कुछ सुनने कहने आ ही नही रहे क्योंकि उन्हें यह व्यर्थ की झाय झाय से ज़्यादा कुछ नही लगता। वे भी बुद्धिमान हैं,तटस्थ रहने वाले। लेकिन जो लोग सामने आ रहे हैं उनमें से भी अधिकांश मोहल्ला की कमेंट मॉडरेशन के बाद केवल अविनाश के हक मे बोलने आ रहे हैं। (और न भूले की अविनाश जी कभी इस बात पर दम्भ करते थे की मोहल्ला पर कमेंट मॉडरेशन नही लगाया जाता चाहे किसी अनीषा,नलिनी किसी के भी लिए भद्दी बातें कमेंट मे लिखीं जाएँ उन्हें मोहल्ला पर पड़े रहने से अविनाश को कोई फर्क नही पड़ता) आज से पहले अविनाश ने हमेशा गालियों का फेवर ही किया है,और यह दम्भ भी भरा कि देखो हम तो गाली खाते भी है और देते भी हैं यह तो आम आदमी की भाषा का स्वाभाविक हिस्सा है तो अपनी खोखली सफाई वाली पोस्ट पर अब गालियों का खयाल करके मोडरेशन क्यों लगा दिया गया? अब जो कमेंट्स वहाँ आ रहे हैं - ज़रा ऐसे कमेंट्स के स्वरूप पर विचार किया जाए तो साफ दिखाई दे रहा है कि इन समर्थक पुरुषों के लिए औरत मात्र की कोई इज़्ज़त नही है। इन कमेंट्कारों से क्या यह जवाब मिलेगा कि पैसे और पॉवर के लिए उनकी बहने बेटियाँ भी इतनी आसानी से किसी मैनेजमेंट का मोहरा बनने को तैयार हो जाएंगी ? यदि हाँ तो मान लेना चाहिए कि हमेशा लड़की ऐसे केसों मे चरित्रहीन ही होती है ,पुरुष साफ होता है,चाहे वह इस केस की पीड़िता हो या किसी की भी बेटी, बहन, पत्नी या माँ !
अविनाश के पास तो फिर भी एक बड़ा मंच है, यह बड़ा सा ब्लॉग संसार है , आप जैसे छिछोरे टिप्पणीकार हैं .....फिर भी वह अपनी बात न कह पाने की असमर्थता दिखा रहा है......किसी ने उसे अपनी सफाई देने से नही रोका......तब भी आप सब उस “लड़की”, जो आप सब के हिसाब से पहले से ही बदचलन मान ली गयी है,उसके पास कोई ब्लॉग नही है ,न ही अविनाश की तरह की लॉबियिन्ग ही है। दर असल लड़की के पास न पैसा है , न कॉंटेक्ट्स हैं , न लॉबियिंग है , न शोहरत है , न ही वह भविष्य मे आपके किसी काम आ सकती है, न ही एजुकेशन ही पूरी है।
अपने विद्यार्थी जीवन मे ही वह लड़की अविनाशों को फँसाने लग गयी है,यह बात ऐसे आराम से कह दी जा रही है जैसे आप सभी को उसने फँसाया हो और आप उसकी हरकतों से वाकिफ हों।अभी उस लड़की के आप खिलाफ हैं और अविनाश के साथ हैं क्योंकि अविनाश आपका दोस्त है और लड़की कुछ नही। लेकिन अपनी बहन-बेटी-पत्नी की बात आएगी तो एक आदमी अपने करीबी से करीबी दोस्त क्या भाई पर भी विश्वास नही करेगा ।
.सहानुभूति जताना अलग बात है और किसी लड़की के चरित्र पर उंगली उठाना अलग बात...जब अविनाश कह रहे हैं कि वे उसे घर तक छोड़ने गए थे...और आप बता रहे हैं कि ...इस तरह की ...लड़कियां ऐसा करती हैं। भोपाल में रहते हुए अविनाश उसे जानते थे और घर छोड़ने लायक समझते थे, इसीलिए घर तक गए। मगर आप उसे चरित्रहीन बता रहे हैं....आपको कैसे पता ? यानी गड़बड़ है...कहीं पर..
एक कमेंट कहता है कि - जिन लोगों के खिलाफ अविनाश काम कर रहे थे और जिनकी आंखों में चुभ रहे थे उनके पास और हथकंडे भी कहां थे, पार पाने के लिए .................
.हमें बताया जाए कि वे ऐसा कौन सा काम कर रहे थे कि हिन्दी पत्रकारिता के मसीहा मान लिए गए हैं , या मसीहा बनने का रास्ता भी शायद यहीं से होकर गुज़रता है।
जिस देश मे हमेशा से यौन उत्पीड़न के मामलों को दबाया जाता हो ,जहाँ नॉयडा गैंग रेप पुलिस क्या देश भर मे खबर बन जाने के बाद भी ठप्प पड़ा हो ,जहाँ एक महिला पुलिस अधिकारी (के पी एस गिल केस) को इंसाफ पाने मे 18 वर्ष का समय लग गया हो वहाँ एक छात्रा के झूठे इल्ज़ाम मात्र से, जाँच समिति की रिपोर्ट से पहले ही अविनाश जी सम्पादकत्व गँवा बैठे हैं यह हमारे लिए वाकई हैरानी की बात है और इसे पचाना मुश्किल है। भास्कर समूह अपनी इज़्ज़त के डर से सच बयान नही करेगा , लड़की अपनी इज़्ज़त के डर से बाहर नही बोलेगी, विश्वविद्यालय अपनी इज़्ज़त के डर से भेद नही खोलना चाहेगा..........अविनाश किसके डर से चुप हैं ?अपने अन्दर का भय तो नही ? कंही तो कुछ गडबड है।
इसका क्या सबूत है कि अविनाश को बात कहने का मौका नही दिया गया और प्रबन्धन ने उन्हें यूँ ही चलता कर दिया? हमे नही लगता की अविनाश को हटाने के लिए किसी प्रबन्धन को उनके खिलाफ षडयंत्र करना पड़े और वह भी किसी लड़की को मोहरा बनाकर। यह एक निजी कम्पनी है , जब चाहेंगे हटा देंगे , इम्प्लॉयी को हटाने के लिए प्रबन्धन को वजहों की कमी नही होती ! इसके लिए इतनी बड़ी प्लानिंग की कतई ज़रूरत नही थी वो भी एक लड़की को खाम्खाह बदनाम करना पडे | यूँ भी प्रबन्धन पर आप मुकदमा कर ही सकते हैं । दीन-हीन बनने की बजाए अब भी चेत जाना ज़रूरी है।
इनके समर्थन मे पूरी विश्वास के साथ खड़े 70 लोग भूल रहे हैं कि अपना मतलब साधने के लिए इन्होंने प्राईवेट चेटों को खुब पब्लिक किया और कई बार उस व्यक्ती (इनमे कई महिलाएँ भी है) के आग्रह करने पर भी उसे नही हटाया।